माया का दर्दनाक अंत
एक दिन, विक्रम माया के लिए आइसक्रीम लेने गया था। उसी समय चार लड़के माया को जबरदस्ती एक कार में खींचकर ले जाते हैं।
 विक्रम बाइक से उनका पीछा करता है और एक सुनसान जगह पर पहुँचता है।
माया को बचाने के लिए वह लोहे की रॉड से उन लड़कों पर हमला करता है।
 वह कुछ को घायल भी कर देता है, लेकिन तभी एक लड़का पीछे से उसके सिर पर रॉड से वार करता है।
विक्रम ज़मीन पर गिर जाता है, उसका सिर चकराने लगता है।
 वे चारों उसे बुरी तरह पीटते हैं — लातों, घूंसों और रॉड से।
 माया रोकने की कोशिश करती है, लेकिन एक लड़का उसके बाल पकड़कर उसे घसीटता है और दूर ले जाता है।
विक्रम के सिर से खून बहता है, वह अधमरी हालत में है।
फिर... वे चारों विक्रम के सामने ही माया का गैंगरेप करते हैं।
विक्रम चीखता है,
 "ऐसा मत करो! हमें जाने दो! कुत्तो, मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगा! वो मेरी जान है!"
लेकिन वे हैवान नहीं रुकते।
 आख़िर में, वे माया का गला काटकर उसकी हत्या कर देते हैं।
विक्रम को ज़िंदा छोड़कर कहते हैं,
 "देख, हमने तो अपनी भूख मिटा ली... अब तू भी मिटा ले!"
 और वहाँ से चले जाते हैं।
मौत से मुलाकात… और फिर वापसी
विक्रम तड़पते हुए, बिलखते हुए माया के पास जाता है।
 उसे गले लगाकर रोता है, उठाने की कोशिश करता है, लेकिन माया मर चुकी होती है।
ग़म से टूटकर वह अपने बैग से नेलकटर निकालता है, उसमें से छुपा चाकू निकालता है और खुद का गला काटने की कोशिश करता है।
 लेकिन वह कर नहीं पाता। हिम्मत नहीं होती।
बार-बार कोशिश करता है, रोता है… फिर सिर की चोट के कारण बेहोश हो जाता है।
रिसर्च सेंटर की कैद
जब उसकी आँख खुलती है, वह अस्पताल में होता है।
 वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता है:
 "माया! माया!"
 उसका दोस्त उसे शांत करने आता है।
विक्रम पूछता है,
 "माया कहाँ है?"
 दोस्त कहता है,
 "माया का अंतिम संस्कार हो गया। तू दो दिन से बेहोश था।"
विक्रम फिर पूछता है,
 "किसने किया अंतिम संस्कार?"
दोस्त बताता है:
 "उसके चाचा ने। पुलिस को कुछ नहीं बताया, कहा – बदनामी हो जाएगी।"
यह सुनकर विक्रम का भगवान से भी विश्वास उठ जाता है।
 वह मानसिक रूप से टूट जाता है।
 अब वह सड़क पर घूमता है, पागलों जैसी हरकतें करता है।
फिर एक दिन कुछ लोग एक काली गाड़ी में आते हैं और विक्रम को उठाकर एक रिसर्च सेंटर ले जाते हैं।
शरीर का प्रयोगशाला बनना
रिसर्च सेंटर में पहले से कई ऐसे लोग थे जिन पर प्रयोग हो रहा था।
 विक्रम के साथ भी वही होता है।
उसके डीएनए पर प्रयोग होता है।
 उसके शरीर में नए मॉलेक्यूल्स डाले जाते हैं।
 उसे करंट दिया जाता है, शरीर पर कट लगाए जाते हैं — इतना दर्द कि वह मरे भी नहीं, पर जी भी न सके।
उसे एक ऐसे कमरे में रखा जाता है जहाँ तापमान बहुत बढ़ा दिया जाता है।
 धीरे-धीरे उसके शरीर में बदलाव शुरू होते हैं।
अब उसके शरीर का कोई भी कटा हिस्सा खुद भरने लगता है।
 वह असाधारण ताकतवर बन जाता है।
इतनी पीड़ा के बाद, विक्रम का "अच्छा इंसान" मर चुका था।
 अब उसके अंदर सिर्फ गुस्सा, नफ़रत और बदला बचा था।
एक दिन वह रिसर्च सेंटर से भाग जाता है।
वर्तमान में वापसी
अब विक्रम बन चुका है — "काल"
 उसका नाम, चेहरा सब बदल चुका है।
अब वह उन सभी लोगों को ढूंढ़-ढूंढ़कर खत्म कर रहा है जिन्होंने उसे कभी दुख दिया था।
 और उन्हें भी वैसा ही दर्द दे रहा है जैसा उसे मिला था।
अभी वह एक ऐसे आदमी को तड़पा-तड़पाकर मार रहा है, जिसने माया को छीन लिया था।
अब केवल तीन लोग और बचे हैं...
"काल" की ताकत अब असीम है।
 पुलिस, स्पेशल फोर्स, हथियार, यहाँ तक कि बम भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।
अब उसका एक ही मकसद है –
 "जिस-जिस ने मेरे साथ अन्याय किया है, वो एक-एक कर खत्म होगा!"
To be continued…"
(इसके आगे की कहानी अगले भाग में देखने को मिलेगी)
लेखक: प्रकाश राने