नमस्कार दोस्तों,
मैं हूं  प्रकाश राने। आज नाग पंचमी है — वो दिन जो
भगवान शिव के प्रिय नागों को समर्पित होता है। आपने इच्छाधारी नागों की कहानियां,
कविताएं और
फिल्में जरूर देखी होंगी। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन सबके पीछे कोई सच्चाई भी
हो सकती है?
मैं आज जो
कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं, वो कोई काल्पनिक स्क्रिप्ट नहीं, मेरे बचपन की एक सच्ची और
रहस्यमयी घटना है, जिसे मैं आज तक नहीं भूल पाया।
घटना 1: कुएं में तैरता हुआ विशाल सांप
बचपन में बरसात
के मौसम में गांव के कुएं पानी से पूरी तरह भर जाते थे। मैं खेल-खेल में बाल्टी को
कुएं में डालकर पानी भरता, फिर ऊपर खींचकर छोड़ देता — यही खेल मुझे बहुत अच्छा लगता
था।
लेकिन एक दिन
उसी खेल के दौरान, मेरी नजर कुएं में एक बेहद लंबे और मोटे सांप पर पड़ी। वो
कुएं के पानी में तैर रहा था। मैं डर गया — ऐसा विशाल और अजीब सांप मैंने पहले कभी
नहीं देखा था।
मैंने फौरन
बाल्टी बाहर निकाली और भागकर अपनी बहन के पास गया।
वह भी मेरे साथ तुरंत कुएं तक आई, और हम दोनों ने उस विशाल सांप
को अपनी आंखों से देखा। वह अनुभव मेरे मन में आज तक ज्यों का त्यों बसा हुआ है।
घटना 2: काली रात और चमकती रहस्यमयी चीज
कुछ साल बाद,
एक ऐसी रात आई
जो अब भी मेरे लिए एक रहस्य बनी हुई है।
उस रात आसमान में न
तारे थे, न चांद,
और पूरे गांव की
बिजली भी चली गई थी। यहां तक कि घर-घर से भी कोई रोशनी नहीं
आ रही थी। हर दिशा में घना अंधेरा था।
उस समय मेरी
बहन बाहर पानी भरने गई थी, क्योंकि हमने रात को पानी
नहीं लाया था। थोड़ी देर बाद वह घबराई हुई दौड़ती हुई घर
आई और बताया कि आम के पेड़ के पास कुछ बहुत तेज चमक रहा है।
फिर हम तीनों — मैं, मेरी मां और
बहन — बाहर गए। हमने एक टॉर्च ली
लेकिन उसे चालू नहीं किया, ताकि अंधेरे में उस चीज़ को साफ-साफ देख सकें।
वो चीज आम के
पेड़ के पास बहुत तेज चमक रही थी। हमें दूर से लग रहा था कि शायद कोई पॉलिथीन होगी,
जो रोशनी में
चमक रही हो।
लेकिन बात अजीब
ये थी कि कहीं से भी कोई रोशनी नहीं आ रही थी — न आसमान से,
न घर से,
न बाहर से। फिर
वो चीज आखिर इतनी तेज कैसे चमक रही थी?
हम बहुत धीरे-धीरे और
चुपचाप उसकी ओर बढ़े। तभी हमारे पैर सूखे
पत्ते पर पड़े, जिससे एक हल्की-सी आवाज हुई — और एक पल में ही
वह चमकती चीज गायब हो गई।
हमने तुरंत टॉर्च चालू की
और तेज़ी से दौड़कर घर के अंदर गए। दरवाजा बंद किया और फिर हम आपस में
चर्चा करने लगे कि आखिर वो था क्या?
क्या वो नागमणि थी...?
अब बात यहां से
और भी रहस्यमयी हो जाती है।
हमें कई कहानियों,
किताबों और
फिल्मों में ये बातें देखने-सुनने को मिली हैं कि अंधेरी रातों
में सांप अपनी नागमणि को बाहर निकालते हैं, और उसका उपयोग शिकार करने
में करते हैं।
क्या वो चमकती
चीज नागमणि थी?
हमें नहीं पता।
पर सबसे अजीब बात ये थी
कि जैसे ही सूखे पत्ते की आवाज हुई, वो चीज तुरंत गायब हो गई। अगर वह कोई पॉलिथीन
होती, तो आवाज से
उसका गायब हो जाना संभव नहीं था।
तो क्या वो वास्तव में नागमणि थी?
एक और बात —
मुझे ठीक-ठीक याद नहीं कि वो रात नाग पंचमी की थी या उसके आस-पास की कोई तारीख,
लेकिन ऐसा लगता
है कि वो समय भी नाग पंचमी के बहुत करीब ही था।
अगर हम उस चीज़
के गायब हो जाने के बाद भी वहां रुकते, तो क्या कोई सांप हम पर हमला कर सकता था?
क्या सच में वह नागमणि थी?
या फिर कोई अलौकिक शक्ति?
ये सवाल आज भी
मेरे मन में गूंजते हैं।
वो चमक इतनी
तेज थी कि हम उसके आसपास की चीजें भी साफ़ नहीं देख पा रहे थे। ऐसा लग रहा था
जैसे वहां कोई छोटी सी लाइट जल रही हो, जैसे हम
फिल्मों में नागमणि की रोशनी देखते हैं। भले
ही वह फिल्मों जैसी अधिक चमकदार न हो, लेकिन वो साधारण
रोशनी से कहीं ज़्यादा चमक रही थी।
आपका क्या मानना है?
क्या आपने कभी
कुछ ऐसा अनुभव किया है?
क्या यह कोई
भ्रम था या कोई अलौकिक घटना?
क्या आपको लगता
है कि वो नागमणि हो सकती है?
अगर हां,
तो कमेंट्स में
जरूर बताइए।
अगर आपके पास
कोई राय है कि उस वक्त हमें क्या करना चाहिए था, वो भी बताइए।
नाग पंचमी पर एक संदेश
आज नाग पंचमी
है। मेरा सभी से निवेदन है —
कभी किसी सांप
को नुकसान न पहुंचाएं।
हर जीव का इस
ब्रह्मांड में कोई न कोई उद्देश्य होता है।
खुश रहें,
सुरक्षित रहें,
और शिव भक्ति
में लीन रहें।
हर हर महादेव!
जय शंकर!
लेखक: प्रकाश
राने
